"व्यक्ति कि क्षमताए सीमित है लेकिन अगर व्यक्ति उन्हें विक्सित कर ले तो बडे से बड़ा कार्य कर सकत है । इसके लिए प्रभु भक्ति और महापुरृषों के आशीष जरुरी है; क्योंकि दुनिया के छल कपट और चालाकिया जहा हमे पतन कि और ले जाती है वही प्रभु और महापुरृषों के आशीष हमे कष्ट से बचा कर हमारी क्ष्मताओका का विस्तार करते है। विपत्तीं का समय जहा कोई बचाने वाला ना हो वहा रक्षा करने वाले हाथ भगवान के होते है और जब इस जगत मे सभी हाथ छोड़ दे, कोई मन कि व्यथा सुनाने वाला न मिले तब जो सहारा देकर कष्टों से पर लगता है वह सतगुरु होता है।"
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ये उदगार इस सदी के महँ संत पुज्यश्री सुधांशु जी महाराज ने विश्वा jagriti मिशन पुन मंडल द्वारा २ जुलाई, २००७ को आयोजित गुरुपुर्निमा महोस्त्व मे विशाल जनसमूह को सम्भोधित करत हुए प्रस्तुत किए।
पुनीत पुणे नगरी के सभी भक्तजन गुरुदर्शन की प्यास लिए आतुरता से प्रतीक्षारत थे । विमान तल पर पुज्य्श्री का भव्य अभिनन्दन किया गया।
गुरुपुर्निमा के उप्लक्ष्य मे आयोजित इस काय्राक्रम मे मे गुरुभ्कतो ने अत्यंत निकट से जी भर कर अपने गुरुवर के दर्शन किये और गुरुपुजन कर स्वयं को धन्य किया।
कार्यक्रम के आयोजन मे श्री घनश्याम झंवर, श्री रामानंद सेठी, श्री आर सी अगृवाल, श्री दुबे जी, गुप्ता जी अदि का सहयोग अत्यंत सराहनीय रहा । इस अवसर पर पुन मंडल कि अध्यक्षा माता कृष्णा कश्यप ने भी पुज्यश्री का अभिनन्दन कर आशीष प्राप्त किया।
Vishwa Jagriti Mission Pune Mandal
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5 months ago
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